Nafrat e Ishq - Part 1 in Hindi Love Stories by Umashankar Ji books and stories PDF | Nafrat e Ishq - Part 1

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Nafrat e Ishq - Part 1



चिड़िया की चहचहाहट सुनाई देती है। सुबह के 5:00 बज रहे हैं। दिल्ली का एक शांत मोहल्ला, जहां सुबह की ताजगी हवा में बसी है।

"यॉन, यॉन," सहदेव ने एक लंबी सांस ली और बिस्तर से उठते हुए अपने पैरों को फर्श पर रखा। 

बाथरूम का दरवाजा खुलता है, फिर धीरे से बंद हो जाता है। थोड़ी देर बाद, सहदेव अपने कमरे से बाहर निकलता है। 

"गुड मॉर्निंग, सहदेव!" एक लड़के ने हंसते हुए कहा। उसका नाम मितेश था, जो सहदेव के पीजी में रह रहा था।

"गुड मॉर्निंग, ब्रो," सहदेव ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। 

"आज तो बहुत जल्दी उठ गया। वरना तुम तो 7:00 बजे से पहले उठाते नहीं हो," मितेश ने चुटकी लेते हुए पूछा।

"दर्शन, मैंने हाल ही में जिम की मेंबरशिप ली है। सुबह का वक्त ही मिलता है। फिर ऑफिस में काम करने के बाद, 10 मिनट की भी रेस्ट मिलना मुश्किल हो जाता है," सहदेव ने हंसते हुए कहा। 

सहदेव ने ट्रैकिंग सूट पहन रखा था। मितेश से अलविदा लेने के बाद वह मितेश PG से बाहर निकलता है और दौड़ना शुरू कर देता है। सुबह का वक्त है, चारों ओर लोग अपने डॉगी के साथ मॉर्निंग वॉक करने निकले हैं। 

लगभग 20 मिनट की दौड़ के बाद, सहदेव एक इमारत के बाहर आता है, जहां एक बड़ा बोर्ड है – "जिम।" वह अंदर जाता है, जहां कम से कम 10 लोग मौजूद हैं, जिनमें से तीन लड़कियां हैं। 

सहदेव को ट्रेडमिल की जरूरत नहीं थी, क्योंकि उसने पहले ही दौड़ लगाई थी। उसने थोड़ी देर हाल-चाल की और फिर शोल्डर डे के लिए वॉर्मअप करने लगा। 

"आज क्या प्लान है, सहदेव?" एक लड़की ने उससे मुस्कुराते हुए पूछा।

"बस आज शोल्डर प्रेस और कुछ डेडलिफ्ट्स," सहदेव ने जवाब दिया। उसका आत्मविश्वास और सकारात्मकता सभी के चेहरे पर मुस्कान ले आई। 

उसने लाइटवेट उठाकर अपने कंधों को गर्म किया और फिर शोल्डर प्रेस लगाने लगा। इस दौरान, वह जिम में मौजूद लोगों के साथ बातचीत करने में लगा रहा, हंसते-खिलखिलाते। सहदेव का मानना था कि व्यायाम के साथ-साथ दोस्ती भी जरूरी है। 

एक फिटनेस लाइफस्टाइल अपनाना उसकी प्राथमिकता बन गई थी, और उसे खुशी थी कि वह इसे अपने दोस्तों के साथ साझा कर रहा था।





“क्या मैं तुम्हारे साथ वर्कआउट कर सकती हूँ?” एक लड़की ने मुस्कुराते हुए पूछा। उसने काले रंग की लोअर और गुलाबी जिम ब्रा पहन रखी थी, और उसकी खूबसूरती ने सहदेव का ध्यान खींचा। उसके बाल बंधे हुए थे, और वह आत्मविश्वास से भरी हुई लग रही थी।

"ठीक है, तुम कर सकती हो, लेकिन चैंपियन मत बनना क्योंकि मैं हाई वेट और रैपिटिशंस करता हूँ। जो तुम्हें सूटेबल लगे, वही करना," सहदेव ने गंभीरता से कहा, ताकि वह अपनी सीमाएं जान सके।

"मैं अपनी अकड़ नहीं करूंगी, लेकिन तुम मुझे गाइड करते रहना," लड़की ने कहा, उसकी आँखों में एक हल्का सा उत्साह था।

सहदेव ने वर्कआउट शुरू किया। उसने पहले ही शोल्डर प्रेस कर लिया था और अब वह फ्रंट डंबल रो, साइड लैटरल्स जैसी शोल्डर एक्सरसाइज कर रहा था। लड़की भी उसके साथ एक्सरसाइज कर रही थी, धीरे-धीरे अपनी ताकत बढ़ा रही थी।

"रिया, क्या तुमने एक्सरसाइज कर ली?" सहदेव ने दूसरी लड़की की आवाज सुनी। वह पलट कर देखता है। एक अन्य लड़की, जो काले रंग की शर्ट और लोअर में थी, उसके फिगर को देखकर सहदेव ने मन में कहा, “हम्म, इस लड़की का नाम रिया है।” 

सहदेव इतना डिटरमाइंड था कि उसका ध्यान सिर्फ वर्कआउट पर था। उसने रिया को देखा तक नहीं, उसका ध्यान केवल अपने लक्ष्य पर था। 

"मनीषा, बस 10 मिनट रुक जाओ, मैं एक्सरसाइज कंप्लीट करने के बाद स्ट्रेचिंग कर लूंगी," रिया ने कहा।

करीब 15 मिनट बाद, सहदेव ने अपनी शेडिंग एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग पूरी कर ली। उसके पास प्रोटीन शेक था। प्रोटीन पीने के बाद, वह जिम से बाहर निकलता है। 

तभी उसकी नजर रिया पर टिक जाती है, जो एक शानदार गाड़ी में आई थी। उसके साथ मनीषा भी थी। रिया की गाड़ी देखकर सहदेव ने अंदाजा लगाया कि इसकी कीमत लगभग 20 करोड़ होगी। 

“लगता है, रिया एक अच्छी खासी परिवार से ताल्लुक रखती है, तभी उसके पास इतनी महंगी गाड़ी है,” सहदेव ने मन में कहा। वह उन्हें गाड़ी में जाते हुए देखता रहा, उनके खुशमिजाज चेहरे उसकी सोच में ठहर गए।

सहदेव दिल्ली का निवासी नहीं है; वह नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आया था और मितेश PG में रह रहा था। वह एक मिडिल क्लास फैमिली से आता है। उसके पिता एक स्कूल में इंग्लिश टीचर हैं, और उसकी माँ एक ब्यूटी पार्लर चलाती हैं। उसकी एक बहन है, जो कॉलेज के सेकंड ईयर में पढ़ रही है और बैचलर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई कर रही है।

सहदेव की हाइट 5 फुट 11 इंच है, रंग साफ है, और वह दिखने में ठीक-ठाक है। जिम शुरू करने के बाद, उसने अपने शरीर को काफी अच्छा बना लिया है। 

उसने गहरी सांस ली और धीरे-धीरे पैदल चलने लगा। 

PG में वापस आने पर, मितेश से बात करते हुए, सहदेव ने उसे अपनी सुबह की दिनचर्या के बारे में बताया। मितेश ने हंसते हुए कहा, "तू तो अब जिम के चैंपियन बन गया है!" 

सहदेव ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां, बस थोड़ी मेहनत की है।"

फिर वह अपनी कंपनी में गया, और फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया। जब वह तौलिया लपेटे बाहर आया, तभी उसके फोन की रिंग बजी। सहदेव ने सोचा, "सुबह के 8:00 बजे, यह फोन किसका होगा?" 

स्क्रीन पर इनाम का नाम देखकर वह थोड़ा चिंतित हो गया। यह उसकी ऑफिस का एक दोस्त था, मनोज अग्रवाल। 

“हैलो,” सहदेव ने फोन उठाते ही कहा।

दूसरी तरफ से मनोज चिल्लाते हुए बोला, "अबे, कहां रह गया तू? क्या तू भूल गया कि आज हमारी ब्रांच में नई मैनेजर आने वाली है? उनके स्वागत की तैयारी करने के लिए सभी को 8:30 बजे बुलाया था। मैंने कहा था कि तू 8:10 पर घर पहुंच जाएगा, लेकिन तू अभी तक आया नहीं है!"

सहदेव का दिल धड़कने लगा। "अरे यार, मैं थोड़ा लेट हो गया। बस 5 मिनट में निकलता हूँ," उसने कहा, और तुरंत तैयार होने लगा। 

उसकी चिंता अब बढ़ गई थी। "अगर मैं समय पर नहीं पहुंचा तो नई मैनेजर को पहला इंप्रेशन खराब होगा," उसने सोचा। सहदेव ने जल्दी-जल्दी कपड़े पहने और अपनी चाबी उठाई।

बाहर निकलते ही, उसने एक गहरी सांस ली और खुद से कहा, "आज कोई भी चीज़ मुझे रोक नहीं सकती।" 

सहदेव ने अपने मन में ठान लिया कि वह न केवल समय पर पहुंचेगा, बल्कि अपनी मेहनत और जिम की ट्रेनिंग के साथ-साथ अपनी नौकरी में भी बेहतरीन प्रदर्शन करेगा। 

जैसे ही वह दरवाजे से बाहर निकला, उसे अपने दिल में एक नई ऊर्जा महसूस हुई। वह दौड़ते हुए गाड़ी की ओर बढ़ा, उसके मन में यह सोचते हुए कि यह दिन उसके लिए एक नई शुरुआत हो सकता है। 



सहदेव ने तेजी से  मितेश  से बाइक ले ली, ताकि वह ऑफिस में समय पर पहुंच सके। वह बिल्कुल भी लेट नहीं होना चाहता था। गाड़ी की राइड में, हवा चेहरे पर लग रही थी, और उसकी धड़कनें तेज़ हो गई थीं। 

(दिल्ली में फास्टट्रैक एडवर्टाइजमेंट कंपनी)  में काम करते हुए सहदेव को एक साल से अधिक हो चुका था। वह क्रिएटिविटी डिपार्टमेंट में एक कॉपीराइटर के रूप में काम कर रहा था। उसकी क्रिएटिविटी की वजह से उसे ऑफिस में सभी से काफी सराहना मिलती थी। 

पिछले मैनेजर की विदाई एक सप्ताह पहले धूमधाम से हुई थी। सहदेव को याद है कि कैसे सभी ने मिलकर उसे गिफ्ट दिए और उसके योगदान को सराहा। वह मैनेजर, जिनकी उम्र बढ़ चुकी थी, ने कई सालों तक कंपनी के लिए काम किया था। उसके रिटायरमेंट के बाद से सभी ने नए मैनेजर के स्वागत की योजना बनाई थी। 

"नई शुरुआत," उसने सोचा, मन में एक उत्साह और थोड़ी नर्वसनेस महसूस करते हुए। हर कोई चाहता था कि नया मैनेजर उनकी मेहनत को देखे और उनके काम की तारीफ करे। 

जब वह ऑफिस पहुंचा, तो उसके मन में कई विचार घूम रहे थे। क्या नया मैनेजर भी उसी तरह से सबकी कद्र करेगा जैसे पहले वाले करते थे? क्या वह सहदेव की क्रिएटिविटी को सराहेगा? उसके दिमाग में अनगिनत सवाल थे, लेकिन वह उन सभी को दरकिनार करने की कोशिश कर रहा था।

जैसे ही वह ब्रांच के बाहर आया, उसने कंपनी के साइन बोर्ड पर नज़र डाली, जिस पर लिखा था ( फास्टट्रैक एडवर्टाइजमेंट ब्रांच) । इस नाम के साथ उसे गर्व महसूस हुआ, क्योंकि उसने इस ब्रांच को अपने काम में हमेशा श्रेष्ठता के लिए चुना था। 

अंदर कदम रखते ही, सहदेव ने देखा कि उसकी टीम के अन्य सदस्य ऑफिस को सजाने में लगे हुए थे। दीवारों पर रंग-बिरंगे बलून लटके हुए थे, और मेज पर मिठाई की थालियां सजी हुई थीं। एक कोने में एक बड़ा बैनर लगा था जिस पर लिखा था, "स्वागत है नए मैनेजर!"

"सहदेव, आ गए!" उसकी सहकर्मी नंदिता ने उसे बुलाया। "तुम्हें यहाँ आकर काम करने में बहुत मज़ा आएगा। सुनो, हम नए मैनेजर के लिए एक छोटा सा प्रेजेंटेशन भी तैयार कर रहे हैं। तुम्हारी रचनात्मकता की हमें बहुत ज़रूरत है।"

सहदेव ने मुस्कुराते हुए कहा, "बिल्कुल, मैं मदद करूंगा।" 

उसकी आँखों में उत्साह और आत्मविश्वास था, लेकिन भीतर ही भीतर उसे थोड़ी नर्वसनेस भी थी। क्या वह अपनी रचनात्मकता का सही प्रदर्शन कर पाएगा? क्या नए मैनेजर को उसकी सोच पसंद आएगी? 

ऑफिस का माहौल खुशनुमा था, और सभी में नई उम्मीदें थीं। सहदेव ने मन में ठान लिया कि वह अपने काम में पूरी मेहनत करेगा ताकि नए मैनेजर को प्रभावित कर सके। उसने अपना लैपटॉप खोला और एक नए प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया।

जैसे ही समय बीता, सहदेव की नर्वसनेस कम होती गई। वह अपने साथियों के साथ बातचीत करने लगा, जो उसे हंसाने और उसका हौसला बढ़ाने लगे। "अगर तुमने अपना काम अच्छी तरह किया, तो नए मैनेजर को तुम्हारी काबिलियत पर कोई शक नहीं होगा," नंदिता ने कहा। 

सहदेव को विश्वास महसूस हुआ। "हाँ, मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा," उसने जवाब दिया।

जैसे ही 8:30 बजे का समय नजदीक आया, सभी उत्सुकता से नए मैनेजर का इंतज़ार करने लगे। सहदेव ने एक गहरी सांस ली और खुद को शांत करने की कोशिश की। वह जानता था कि यह एक महत्वपूर्ण दिन था, और वह अपनी टीम के साथ इस नई शुरुआत को सफलता में बदलने के लिए तैयार था।

नए मैनेजर के आगमन से पहले, सहदेव ने खुद को सकारात्मकता से भर लिया। वह जानता था कि उसकी मेहनत और लगन उसे आगे ले जाएगी, और वह इस मौके को पूरी तरह से भुनाना चाहता था। 

"ये नई शुरुआत है," उसने मन में कहा, और एक नई उम्मीद के साथ वह अपने काम में जुट गया।